खाली पेट भी बन सकता है बड़ी बीमारी का कारण

अक्सर हम सुनते हैं कि “दिल नहीं, पेट की सुनिए,” यानी दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है। आपकी बैलेंस डाइट आपके ब्रेन हेल्थ को बेहतर बना सकती है, लेकिन पेट की समस्याएं दिमाग पर भी बुरा असर डाल सकती हैं। कब्ज (Constipation) एक ऐसी पेट की समस्या है जो मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। अगर कब्ज लंबे समय से परेशान कर रही है, तो यह याददाश्त को कमजोर कर सकती है और दिमाग की काम करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है। गंभीर मामलों में, कब्ज डिमेंशिया (Dementia) यानी भूलने की बीमारी का कारण बन सकती है। इसलिए कब्ज को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

कब्ज का दिमाग पर असर: अल्जाइमर एसोसिएशन इंटरनेशनल की रिसर्च के अनुसार, कब्ज का समय पर इलाज न कराने से मेमोरी लॉस यानी डिमेंशिया हो सकता है। यह सोचने-समझने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि दिन में दो बार शौच जाने वालों में यह समस्या ज्यादा होती है। ब्रेन और गट हेल्थ के बीच गहरा संबंध है।

पेट की समस्याओं का दिमाग पर प्रभाव: गैस्ट्रोलॉजी एक्सपर्ट्स का कहना है कि खानपान की गलत आदतों की वजह से कब्ज बढ़ जाती है, जिससे पेट ठीक नहीं रहता और दिमाग पर असर पड़ता है। कब्ज से ब्रेन फंक्शन के साथ-साथ कोलन कैंसर और टाइप-3 डायबिटीज का भी खतरा होता है, जो दिमाग से जुड़ी बीमारियों को जन्म दे सकता है। इसके अलावा, कब्ज से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी हो सकता है।

कब्ज से बचाव: कब्ज से बचने के लिए अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं और दिन में ज्यादा पानी पिएं। तला-भुना और स्ट्रीट फूड्स से बचें। सही खानपान और हाइड्रेशन से पेट साफ रहेगा, और इससे दिमाग पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।

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