तिरुमाला मंदिर के लड्डुओं में चर्बी के इस्तेमाल के आरोप पर बढ़ा विवाद, बीजेपी नेता ने कही ये बात!

तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल को लेकर बढ़ता विवाद अब सियासी तूल पकड़ता जा रहा है। तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता बंडी संजय कुमार ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “हिंदुओं के साथ हुए इस विश्वासघात के लिए भगवान कभी माफ नहीं करेंगे।”

बंडी संजय का बयान: बंडी संजय कुमार ने लिखा, “तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के पवित्र लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करना हिंदुओं की आस्था के साथ एक बड़ा विश्वासघात है। हमने पहले ही इस पर चिंता जताई थी कि अन्य समुदायों और नास्तिकों को मंदिर के कर्मचारियों और टीटीडी बोर्ड में शामिल करने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा और हिंदुओं की भावनाओं का अनादर होगा।”

बीजेपी नेता ने की जांच की मांग: बंडी संजय कुमार ने आंध्र प्रदेश की मौजूदा सरकार से इस मामले की तत्काल जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। संजय कुमार का कहना है कि तिरुमाला की पवित्रता बनाए रखना बेहद जरूरी है।

जगनमोहन रेड्डी और YSRCP का जवाब: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और YSRCP प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। YSRCP के वरिष्ठ नेता और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू के बयानों को राजनीति से प्रेरित बताया है। सुब्बा रेड्डी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार, नायडू किसी भी हद तक गिर सकते हैं ताकि वह राजनीति में फायदा उठा सकें। कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर चल रही हड़ताल अब खत्म होने जा रही है। पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स मोर्चा ने घोषणा की है कि वे शनिवार (21 सितंबर) से अपने काम पर लौट आएंगे। हालांकि, इस दौरान ओपीडी सेवाएं अभी निलंबित रहेंगी, लेकिन आपातकालीन सेवाएं फिर से शुरू कर दी जाएंगी।

सरकार ने मानी ज्यादातर मांगें: यह फैसला तब आया जब पश्चिम बंगाल सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की ज्यादातर मांगों को मान लिया है। साउथ बंगाल में हो रही भारी बाढ़ के बीच यह निर्णय लिया गया। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने शुक्रवार (20 सितंबर) को अपना धरना खत्म करने का फैसला किया है। हालांकि, उस दिन डॉक्टर आखिरी बार एक प्रदर्शन मार्च निकालेंगे, और अगले दिन, यानी शनिवार (21 सितंबर) से वे काम पर वापस लौट जाएंगे।

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