व्यस्त जीवनशैली के बीच इस तरह करें आप भी Oral केयर

आजकल की तेज़-तर्रार जीवनशैली में लोग अपने ओरल केयर पर ध्यान नहीं दे पाते। इसका परिणाम यह होता है कि उन्हें मसूड़ों की सूजन, दांतों में दर्द, मुंह में छाले और सांसों की दुर्गंध जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए लोग केमिकल युक्त उत्पादों का उपयोग करते हैं या डॉक्टर के पास जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में इसके लिए प्राकृतिक समाधान मौजूद हैं?

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां: कचनार, गिलोय और चिरायता के लाभ

आयुर्वेद में कचनार, गिलोय और चिरायता जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग ओरल केयर के लिए किया जाता है। कचनार में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह में संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। गिलोय को इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए जाना जाता है, और यह मसूड़ों की सूजन और मुंह के छालों के इलाज में प्रभावी है। चिरायता एक कड़वी जड़ी-बूटी है, जो मुंह के संक्रमण और दांतों की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकती है।

गिलोय, चिरायता और कचनार का काढ़ा: प्राकृतिक उपाय

रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, मुंह की समस्याओं के लिए गिलोय, चिरायता और कचनार का काढ़ा बहुत ही प्रभावी साबित होता है। यह काढ़ा मसूड़ों की सूजन, मुंह में छालों और दांतों के दर्द जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

काढ़ा कैसे बनाएं?

इस काढ़े को बनाने के लिए 1.5 ग्राम गिलोय और 1.5 ग्राम चिरायता को पानी में उबाल लें। अगर मुंह में गांठ की समस्या हो तो इसमें 1 ग्राम कचनार भी मिलाएं। इस काढ़े का सेवन दिन में 2-3 बार किया जा सकता है, लेकिन किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

कचनार, गिलोय और चिरायता का काढ़ा एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है, जो मुंह की समस्याओं से राहत दिला सकता है। यह न केवल ओरल केयर में मदद करता है, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। इसलिए, अगली बार जब आपको ओरल केयर से जुड़ी कोई समस्या हो, तो इन आयुर्वेदिक उपायों को आजमाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *