मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) उच्च न्यायालय (high Court) ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्रतिगामी प्रथाओं पर अंकुश लगाना आवश्यक है। उच्च न्यायालय (high Court)ने यह टिप्पणी तीन तलाक (Triple Talaq) के एक मामले की सुनवाई करते हुए की।
समाज में प्रतिगामी प्रथाएं व्याप्त हैं: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) उच्च न्यायालय (high Court) के न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने कहा, “समाज में कई निंदनीय, कट्टरपंथी, अंधविश्वासी और अति-रूढ़िवादी प्रथाएं व्याप्त हैं, जिन्हें आस्था और विश्वास के नाम पर दबा दिया जाता है। हालांकि, हमारा संविधान अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन करता है, लेकिन इसे केवल कागजों पर नहीं, बल्कि वास्तविकता में लागू करने की आवश्यकता है। एक अच्छी तरह से तैयार की गई संहिता ही ऐसी अंधविश्वासी और बुरी प्रथाओं पर अंकुश लगा सकती है।”
तीन तलाक मामले ने समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला: उच्च न्यायालय (high Court) एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें दो महिलाओं ने अपने पति और ससुराल वालों द्वारा उत्पीड़न और दहेज की मांग का आरोप लगाते हुए राहत के लिए अपील की थी। महिलाओं में से एक मुस्लिम महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया और बाद में उसके पति ने उसे तीन तलाक (Triple Talaq) दे दिया। अदालत ने कहा कि तीन तलाक (Triple Talaq) कानून में केवल पति को ही आरोपी माना गया है, जिससे इस मामले में ससुराल वालों को राहत मिली है।
समान नागरिक संहिता: एक लंबे समय से चली आ रही मांग: समान नागरिक संहिता (UCC) की मांग लंबे समय से चली आ रही है, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी इसकी वकालत की है। कई भाजपा शासित राज्यों ने मसौदा तैयार किया है और इसे लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि, विपक्षी दल वोट बैंक की राजनीति का हवाला देते हुए लगातार इसका विरोध कर रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहा है: मुस्लिम समुदाय भी समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध कर रहा है, इसके बजाय इस्लामी शरिया कानून की वकालत कर रहा है। इसके कारण राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) का विरोध कर रहे हैं।निष्कर्षमध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (high Court) की टिप्पणी प्रतिगामी प्रथाओं को रोकने और लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और कई राज्य पहले से ही इस दिशा में काम कर रहे हैं, यह देखना बाकी है कि भारत में समान नागरिक संहिता (UCC) कितनी जल्दी वास्तविकता बन पाती है।