सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को आरक्षण से जुड़े एक मामले में बिहार सरकार (Bihar Government) को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। इस मामले में पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जनजातियों (SC), अनुसूचित जातियों (ST) और अत्यंत पिछड़े वर्गों (EBS) के लिए आरक्षण कोटा 50% से बढ़ाकर 65% करने वाले राज्य के संशोधन कानूनों को रद्द कर दिया गया था।
बिहार सरकार की याचिका: बिहार सरकार (Bihar Government) ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें राज्य के संशोधन कानूनों को रद्द कर दिया गया था। इसमें कहा गया था कि इन कानूनों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा तय की गई 50% की सीमा का उल्लंघन किया है। बिहार सरकार (Bihar Government) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छत्तीसगढ़ से जुड़े एक ऐसे ही मामले में अंतरिम आदेश पारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: हालांकि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा, “हम अंतरिम राहत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं। मामले की सुनवाई सितंबर में की जाएगी।” मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बिहार सरकार (Bihar Government) की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है।
मामले की पृष्ठभूमि: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) ने नवंबर 2023 में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसमें एससी (SC) के लिए आरक्षण कोटा बढ़ाकर 20%, एसटी (ST) के लिए 2% और ईबीसी के लिए 43% कर दिया गया था। यह विधेयक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति में पारित किया गया था। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% कोटा के साथ संशोधित आरक्षण कोटा, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा निर्धारित 50% की सीमा को पार कर गया, जिसके कारण उच्च न्यायालय ने संशोधन कानूनों को रद्द कर दिया।